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मन - दुश्मन भी, दोस्त भी || आचार्य प्रशांत, संत कबीर पर (2014)

2019-11-23 0 Dailymotion

वीडियो जानकारी:<br /><br />शब्दयोग सत्संग<br />८ जून, २०१४<br />अद्वैत बोधस्थल, नॉएडा<br /><br />दोहा :<br />माया दो प्रकार की, जो जाने सो खाए।<br />एक मिलावे राम से, दूजी नरक ले जाए॥<br />खान खरच बहु अंतरा, मन मे देखु विचार।<br />एक खवावै साधु को, एक मिलावै छार॥ (संत कबीर)<br /><br />प्रसंग:<br />माया क्या है?<br />जो मन को आकर्षित करे वह क्या है?<br />लोभ में इतना आकर्षण क्यों है?

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